Friday, March 20, 2009

मैं चुनाव जीतना चाहती हुं, पर दुर्योधन और शकुनि की तरह नहीं: मल्लिका


देश के प्रसिद्ध विज्ञानी विक्रम साराभाई की बहुप्रतिभाशाळी बेटी मल्लिका साराभाई अब राजकारण के रंगमंच पर भी पदार्पण कर रही है. वो गुजरात की गांधीनगर लोकसभा बेठक पर भाजपा का कदावर नेता और वडाप्रदान पद के दावेदार लालकृष्ण अडवाणी को बतौर निर्दलीय उमेदवार टक्कर देने जा रही है. चुनाव और उसकी तैयारी को लेकर उनसे दर्पण नाट्य अकादमी में हुई बातचीतः

डान्सर, अभिनेत्री, सामाजिक कार्यकर्ता और अब राजकारणी. मल्लिकाजी, राजकारण में प्रवेश करने के पीछे की आशय?
सामाजिक कार्यकर्ता का मुख्य काम जनता की सेवा करना है और राजकारणी का काम भी वहीं है. पर अफसोस राजकारणी जनता जनार्दननी सेवा करने की जगा मेवा खाने में मस्त है. प्रजा लाचार है. आजकल राजकारणी जनता की सेवा करने के बदले सत्ता को बनाये रखने में ही व्यस्त है. इस परिस्थिति में मैने एक नागरिक होने नाते ये महेसूस किया कि मुझे राजकारण में आना चाहिये. में राजकारण के माध्यम में समाज में सुधार लाना चाहती है. सच्चाई और प्रामाणिकता के मापदंड प्रस्थापित करना चाहती हुं।

आपकी माता मृणालिनी साराभाई और बडे भाई कार्तिकेय साराभाई आपके निर्णय के बारे में क्या सोचते है?
कार्तिकेय का कहेना है कि मुझे थोडी राह देखनी चाहिये थी. मुझे लोगो की समस्याओ कों ज्यादा समझने की आवश्यकता थी. पर मेरा स्वभाव आक्रमक है. मुझे जो बात गलत लगती है उसके सामने मैं आवाझ उठाती हुं. अम्मा (मृणालिनी साराभाई) मेरे बारे थोडी चिंतित जरूर रहेती है. मुझ पर कोई हमला कर देगा, मुझे कुछ होगा तो नहीं जैसी चिंता उन्हें थोडी-बहोत जरूर सताती है.

आपका चुनाव एजन्डा क्या है?
दरअस्सल देश में किस मुद्दे पर चुनाव न लडा जाये ये सबसे बडा प्रश्न है. देश में सामान्य जनता की कोई सलामती है? आप जो पानी पी रहे है क्या वो शुद्ध है? क्या गरीबो और मजदूरो को उनके मूलभूत अधिकार मिलते है? क्या महिलाओ की कोई सलामती है? क्या युवाधन को रोजगारी की कोई गेरेंटी है? अब तक जितनी सरकारे बनी उसने इन मुद्दो पर क्या किया? ये जनता को सोचना होगा. मैं समाज के हर क्षेत्र में जनता को जो अन्याय हों रहा है उसके लिये चुनाव लड रही हुं. मैं समाज में शांति और सदभाव के लिये लड रही हुं. मेरी लडाई का आशय सामान्य जनता सन्मान के साथ जिंदगी देना है।

अखबार कहेतें हैं के कोंग्रेस आपको टिकिट देना चाहती थी?
बिलकुल गलत बात है. कोंग्रेस ने मेरा संपर्क किया नहीं. और अगर कोंग्रेस मुझे टिकिट ओफर करती तो भी में उसे स्वीकार नहीं करती।

काहे स्वीकार ना करती?
कोंग्रेस और अन्य सभी राजकीय पक्ष की नीतिमत्ता में कोई फरक नहीं है. हर राजकीय पक्ष राजनीति के अपराधीकरण की बात कर रहा है और सबसे बडे मजाक की बात ये है कि वे सभी अपराधीओ को टिकिट देने के लिये एकदूसरे की स्पर्धा कर रहे हैं. सभी पक्ष भ्रष्टाचार दूर करने की बात करतां है और साथसाथ सरकार बनाने और टिकाने के लिये होर्स ट्रेडिंग कर रहा है. सभी राजकीय पक्ष का एक ही आशय है-सत्ता. जबकि में जनता की सेवा करना चाहती हुं. इसलिये कोंग्रेस ही नहीं देश के एक भी राजकीय पक्ष के साथ में बेठ नहीं सकती.

गांधीनगर बेठक के एक नागरिक होने के नाते आप लालकृष्ण अडवाणी की कौन सी बातो सें असंतुष्ट है?
जनता समाज की समस्या का समाधान करने लिये सांसद को लोकसभा में भेंजते है. मेरा सवाल ये है कि, अडवाणीजीने इतने सालो में अपनी बेठक के विविध विस्तारो में रहेते नागरिको की समस्या बारे में जानने के लिये क्या प्रयास किये है? वो कोई कार्यक्रम का उद्घघाटन करने के लिये जरुर आते है, पर उन्हों ने लोगो की प्राथमिक सुविधा का विकास करने के लिये दरअस्सल क्या किया है? मैं उनको प्रत्यक्ष चर्चा करने के लिये आमंत्रित करती हुं।

मतदाता तक पहोंचने के लिये किस माध्यमो का प्रयोग करेंगी?
नाटक से लेकर इन्टरनेट तक सभी माध्यम का. मैं रोड शो करुंगी. युवा मतदाता मेरा एजेन्डा वोट फोर मल्लिका वेबसाइट पर देख शकेंगे, जो दो या तीन दिन के अंदर शुरु हो जायेगी.

भाजपा का कहेना है कि, आपकी बजह से कोंग्रेसनी मतबेन्क तूटेगी और लालकृष्ण अडवाणी को बहुत फायदा होगा?
देखिये, ये मतबेन्क शब्द लोकतंत्र का क्रूर मजाक है. मतबेन्क का मतलब क्या है? भाजपा और कोंग्रेस जैसै बडे राजकीय पक्ष जनता को चुनाव जीतने का साधन मान रहै है, इन्सान नहीं. मेरे लिये मतदाता इन्सान है, मतबेन्क या चुनाव जीतने का माध्यम नहीं. रही बात कोंग्रेस को नुकसान होने की, तो चुनाव के नतीजे ही दिखायेंगे के मेरी बजह से किस पक्ष को नुकसान हुआ है।

भाजपा आतंकवाद और महेंगाई के नाम पर मत मागेगी तो कोंग्रेस युपीए शासन में देश के विकास के नाम पर. कोई मतदाता आप को क्यों मत देगा?
जो नागरिक देश की वर्तमान राजकीय व्यवस्था से असंतुष्ट है वो मुझे मत देगा. जो लोग सत्य और अहिंसा के पथ पर देश की तरक्की चाहते है वो लोग मुझे मत देंगे. जो लोग देश में कायदे का शासन चाहते है वो मुझे संसद में भेजेंगे. जो लोग प्रशासन में पारदर्शिता चाहते है वो मेरे नाम पर महोर लगायेंगे।

भाजप और कोंग्रेस को चुनावफंड की कोई चिंता नहीं है. आप कहां से लायेंगे?
जनता जनार्दन से. जनता हीं मुझे फंड देगी. मैं उसमें भी पारदर्शिता का मापदंड प्रस्थापित करुंगी. हररोज मुझे कितना फंड मिला उसका ब्यौरा अपनी वेबसाईट पर दुंगी।

राजकीय विश्लेषको का मानना है कि, अडवाणी के सामने मल्लिका साराभाई चुनाव नहीं जीत शकती?
दरअसल ये तथाकथित राजकीय विश्लेषको की विविध धारणा कभी सच साबित नहीं हुई।

इसका मतलब अडवाणी और कोंग्रेस के उमेदवार को हरा देंगी?
देखिये, मैं दावे करने में नहीं मानती. लेकिन इतना जरुर तय है किं मैं उने हराने के लिये पूरा प्रयास करुंगी. मैं भी चुनाव जीतना चाहती हुं, लेकिन दुर्योधन और शकुनि की तरह नहीं. लोकसभा में पहोंचने के लिये में गलत मार्ग पसंद नहीं करुंगी. इस देश का हर नागरिक सच्चाई और ईमानदारी से चुनाव लड सकता है और वो जीत भी सकता है ये बात मैं देश को और खास करके युवा लोगो को दिखा देना चाहती हुं।

अगर आप लोकसभा जायेगी तो संसद में महिला अनामत विधेयक को समर्थन देगी?
बिलकुल. लेकिन सिर्फ दस साल के लिये. अनामत व्यवस्था एक निश्चित समय तक मर्यादित हो तो ही उसका फायदा होता हैं. नहीं तो राजकीय पक्ष उसको दूरपयोग करते हैं और उसे सत्ता पाने को माध्यम बना देते हैं.

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