दोस्तो, मुझे पता है कि यह समाचार आप तक पहोंचाने का कष्ट लोकतंत्रात्मक देश के चौथे स्तंभ में शुमार अखबारो और समाचार चैनलोने नहीं उठाया होगा. कोंग्रेस के युवराज जनाब राहुल गांधी पिछले दो दिनो से बिहार के दौरे पर थे और ये बात आप अच्छी तरह जानते है. आपने सभी अखबारो और खबरिया चैनलो पर राहुल गांधी को बिहार की राजधानी पटना की महिला कोलेज की युवतीओ बीच देखा होगा. आपने युवराज को बिहार में शिवसेना और राज ठाकरे की द्वितीय शिवसेना अर्थात् महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना की खिंचाई करते भी सुना. पर अब जो में बात आपको बताने जा रहा हुं वो आपने शायद किसी अखबार में न तो पढी होगी और न किसी खबरिया चैनल पर देखीसुनी होगी. क्या आपको पता है कोंग्रेस के इस 'प्रतिक्षारत प्रधानमंत्री' (अंग्रेजी में उसे प्राइम मिनिस्टर इन वेटिंग कहेते है) को बिहार में ही एक स्थान पर छात्रो के विरोध और रोष का सामना करना पडा? क्या आप जानते है कि बिहार के इसी दौरे में राहुल को अपने एक बयान पर छात्रो की माफी मागनी पडी? इतना ही नहीं छात्रो के रोष से बचने के लिये युवराज को आखिरकार मैदान छोडकर भागना पडा?
बात ये है कि, बिहार में इस साल होनेवाले विधानसभा चुनाव से पहेले कोंग्रेस के लिये जमीन तैयार करने गये राहुल गांधी को दरभंगा जिल्ले में स्थित ललित नारायण विश्वविद्यालय में मुंह की खानी पडी. जनाब का मकसद स्पष्ट था-युवा छात्रो को अपनी और आकर्षित करना, लेकिन मंच पर पहुंच कर उनकी दंभी धर्मनिरपेक्षता जागी उठी. राहलु जी को गुजरात के दंगे याद आ गये. अपने भाषण पर विद्यार्थी को संबोधित करते समये वो बोले कि, ''हिंदुस्तान को बदलाव की आवश्यकता है और गुजरात को सबसे ज्यादा.''
उनके कहेने का आशय था कि हिंदुस्तान को परिवर्तन की आवश्यकता है और इसकी शरूआत गुजरात से होनी चाहिये. उनके ये विधान के बाद अनपेक्षित रूप से छात्र भडक उठें और होहल्ला मचा गया. छात्रोने राहुल गांधी को स्पष्ट रूप से कह दिया कि, यह एक शैक्षणिक संस्थान है, राजकीय रंगमंच नहीं. इतना हीं नहीं छात्रोने कहा कि महाराष्ट्र में कोंग्रेस सरकार है और वहां उत्तर भारतीयो को, खास करके बिहारीओ को निशाना बनाया जा रहा हैं तो क्या बदलाव की आवश्यकता महाराष्ट्र में नहीं है? फिर तो राहुल बाबाने माफी मागी, पर छात्रोने उन्हें माफ नहीं किया और युवराज को विश्वविद्यालय में अपने सभी कार्यक्रम रद्द करके दुमदमाके भागना पडा.
ये बात किसी अखबारने क्यों नहीं प्रकाशित की और खबरिया चैनलने क्यों नहीं दिखाई? दोस्तो, आप समझदार है.....ये बात मुझे कहां से जानने को मिली उसकी लिंक आपको दे रहा हूं....http://blog.taragana.com/politics/2010/02/02/rahul-gandhi-apologizes-to-students-in-lalit-narayan-mithila-university-16480/....मैं हिंदुस्तान के हिंदी भाषी प्रांतो के भाई-बहेनो, खास करके बिहारी दोस्तो को यह बताना चाहता हुं कि कृपया, किसी भी राजनेता कि कोई भी बात से सीधे प्रभावित न हो जाये. राजनेता कि हर बात के पीछे का मकसद समझना होगा. राहुल गांधी को दरस्सल चिंता विधानसभा चुनाव की है. वहां कोंग्रेस की मनसा इस बार अकेले अपने दम पर चुनाव लडने की है.
दुसरी बात, राहुल गांधी गुजरात में बदलाव की फिक्र हम गुजराती भाई-बहेनो पर छोड दे तो ज्यादा बहतर होगा. उन्हें दरस्सल किन-किन बातो में बदलाव लाने की आवश्यकता है वो बताने का कष्ट कर रहा हुं...
- अगर राहुल गांधी के बस में हो तो कोंग्रेस में से गांधी-नेहरु परिवार के चाटुकरो को बहार का रास्ता दिखला दे.
- इस लोकतंत्रात्मक देश के सबसे वयोवृद्ध राजकीय पक्ष कोंग्रेस में से पहेले वंशवाद दूर करे और लोकतंत्रात्मक प्रणाली अपनाये.
- देश की जनता महंगाई के बोज तले दब गई है. वो अपना गुस्सा इलेकट्रोनिक वोटिंग मशीन के बटन दबाकर पंजे को उखाड फेंके इससे पहले शरद पवार को ठिकाने लगाये.
- मुस्लिम इस देश के अभिन्न अंग है. गुजरात के दंगो पर राजनीति करके उनमें अलगाव की भावना और पेदा न करे.
- राजीव गांधी के प्रसिद्ध बयानो से मिलतेजुलते, जैसे की गरीबो का पैसा गरीबो तक नहीं पहुंचता, संवाद बोलकर मतदातों में राजीव गांधी जैसा नेता होने का भ्रम पैदा न करे. अगर आप में मौलिकता है तो जनता को थोडा उसका परिचय भी कराये.
- इस देश के हर नागरिक को देश के किसी भी कोने में स्थायी होने की और रोजगारी पाने का बुनियादी अधिकार है तो कृपया जम्मु-काश्मीर में से धारा 370 हटाने का नेतृत्व भी लें. मगर इसके लिये आप में मुस्लिम मतबेंक को नाराज करने की और सच्ची राष्ट्रीयता दिखाने की ताकात होनी चाहिये.
- महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री अशोक चव्वाण को मुंबई में हिंदी भाषी भाई-बहेनो की सुरक्षा के लिये थोडा चुस्त-दुरस्त होने का उपदेश भी दे.
अगर राहुल गांधी इन सब पर बातो पर अमल न कर सके तो एक और रास्ता है, जो खुद उनके आदर्श महात्मा गांधी ने आझादी मिलने के बाद दिखाया है. बापूने आझादी मिलने बाद कहा था, ''कोंग्रेस का विसर्जन करो दो और उसके सभी कार्यकर्ता को समाजसेवा में लगा दो.'' बारबार बापू का हवाला देने वाले राहुल गांधी क्या राष्ट्रपिता की बात मानेंगे?
बात ये है कि, बिहार में इस साल होनेवाले विधानसभा चुनाव से पहेले कोंग्रेस के लिये जमीन तैयार करने गये राहुल गांधी को दरभंगा जिल्ले में स्थित ललित नारायण विश्वविद्यालय में मुंह की खानी पडी. जनाब का मकसद स्पष्ट था-युवा छात्रो को अपनी और आकर्षित करना, लेकिन मंच पर पहुंच कर उनकी दंभी धर्मनिरपेक्षता जागी उठी. राहलु जी को गुजरात के दंगे याद आ गये. अपने भाषण पर विद्यार्थी को संबोधित करते समये वो बोले कि, ''हिंदुस्तान को बदलाव की आवश्यकता है और गुजरात को सबसे ज्यादा.''
उनके कहेने का आशय था कि हिंदुस्तान को परिवर्तन की आवश्यकता है और इसकी शरूआत गुजरात से होनी चाहिये. उनके ये विधान के बाद अनपेक्षित रूप से छात्र भडक उठें और होहल्ला मचा गया. छात्रोने राहुल गांधी को स्पष्ट रूप से कह दिया कि, यह एक शैक्षणिक संस्थान है, राजकीय रंगमंच नहीं. इतना हीं नहीं छात्रोने कहा कि महाराष्ट्र में कोंग्रेस सरकार है और वहां उत्तर भारतीयो को, खास करके बिहारीओ को निशाना बनाया जा रहा हैं तो क्या बदलाव की आवश्यकता महाराष्ट्र में नहीं है? फिर तो राहुल बाबाने माफी मागी, पर छात्रोने उन्हें माफ नहीं किया और युवराज को विश्वविद्यालय में अपने सभी कार्यक्रम रद्द करके दुमदमाके भागना पडा.
ये बात किसी अखबारने क्यों नहीं प्रकाशित की और खबरिया चैनलने क्यों नहीं दिखाई? दोस्तो, आप समझदार है.....ये बात मुझे कहां से जानने को मिली उसकी लिंक आपको दे रहा हूं....http://blog.taragana.com/politics/2010/02/02/rahul-gandhi-apologizes-to-students-in-lalit-narayan-mithila-university-16480/....मैं हिंदुस्तान के हिंदी भाषी प्रांतो के भाई-बहेनो, खास करके बिहारी दोस्तो को यह बताना चाहता हुं कि कृपया, किसी भी राजनेता कि कोई भी बात से सीधे प्रभावित न हो जाये. राजनेता कि हर बात के पीछे का मकसद समझना होगा. राहुल गांधी को दरस्सल चिंता विधानसभा चुनाव की है. वहां कोंग्रेस की मनसा इस बार अकेले अपने दम पर चुनाव लडने की है.
दुसरी बात, राहुल गांधी गुजरात में बदलाव की फिक्र हम गुजराती भाई-बहेनो पर छोड दे तो ज्यादा बहतर होगा. उन्हें दरस्सल किन-किन बातो में बदलाव लाने की आवश्यकता है वो बताने का कष्ट कर रहा हुं...
- अगर राहुल गांधी के बस में हो तो कोंग्रेस में से गांधी-नेहरु परिवार के चाटुकरो को बहार का रास्ता दिखला दे.
- इस लोकतंत्रात्मक देश के सबसे वयोवृद्ध राजकीय पक्ष कोंग्रेस में से पहेले वंशवाद दूर करे और लोकतंत्रात्मक प्रणाली अपनाये.
- देश की जनता महंगाई के बोज तले दब गई है. वो अपना गुस्सा इलेकट्रोनिक वोटिंग मशीन के बटन दबाकर पंजे को उखाड फेंके इससे पहले शरद पवार को ठिकाने लगाये.
- मुस्लिम इस देश के अभिन्न अंग है. गुजरात के दंगो पर राजनीति करके उनमें अलगाव की भावना और पेदा न करे.
- राजीव गांधी के प्रसिद्ध बयानो से मिलतेजुलते, जैसे की गरीबो का पैसा गरीबो तक नहीं पहुंचता, संवाद बोलकर मतदातों में राजीव गांधी जैसा नेता होने का भ्रम पैदा न करे. अगर आप में मौलिकता है तो जनता को थोडा उसका परिचय भी कराये.
- इस देश के हर नागरिक को देश के किसी भी कोने में स्थायी होने की और रोजगारी पाने का बुनियादी अधिकार है तो कृपया जम्मु-काश्मीर में से धारा 370 हटाने का नेतृत्व भी लें. मगर इसके लिये आप में मुस्लिम मतबेंक को नाराज करने की और सच्ची राष्ट्रीयता दिखाने की ताकात होनी चाहिये.
- महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री अशोक चव्वाण को मुंबई में हिंदी भाषी भाई-बहेनो की सुरक्षा के लिये थोडा चुस्त-दुरस्त होने का उपदेश भी दे.
अगर राहुल गांधी इन सब पर बातो पर अमल न कर सके तो एक और रास्ता है, जो खुद उनके आदर्श महात्मा गांधी ने आझादी मिलने के बाद दिखाया है. बापूने आझादी मिलने बाद कहा था, ''कोंग्रेस का विसर्जन करो दो और उसके सभी कार्यकर्ता को समाजसेवा में लगा दो.'' बारबार बापू का हवाला देने वाले राहुल गांधी क्या राष्ट्रपिता की बात मानेंगे?
4 comments:
You may watch the clip here, about what exactly happened there
http://www.youtube.com/watch?v=sIv_rtFWLps
You may watch the clip here, about what exactly happened there
http://www.youtube.com/watch?v=sIv_rtFWLps
really rahul should dis mental congress first. further media should also stop projecting him as pm in offing, till date he has proved nothing.
केयुर जी, शाबाश, आपने एकदम सच्ची हकीकत लोगों के सामने रखी है। राहुल हो, या सोनिया हो लेकीन भैया केयूरजी आपको मालूम नहि है की ये दिल्ही वाले जो गुजरात के बारे में बोल रहे है, उसके लिये हमारे ही कुछ नपानिये और गुजरातद्रोही लोग है की जो गुजरात को बदनाम करने में लगे हुए है, वो लोग गुजरात और गुजराती के नाम पे बदनूमा दाग है, वो लोग एसा मानते है की गुजरात को बदनाम करके, वो लोग आंतरराष्ट्रीय स्तर पर कुछ पा लेंगे, कुछ कमा लेंगे, लेकीन वो एकदम डफऱ है, उन पोपटो को मालूम नही की ये उनका जो आंतरराष्ट्रीय स्तर पर इस्तमाल होता है और जिसके भी कहने पे ये सब कर रहे है, ये उनको थोडे बहोत रूपये देकर एक जरिया बना रहे है की जाओ गुजरात को खोखला कर दो, लेकिन ये अपने ही कुछ फालतु लोग, हमारे ही लोग (वैसे तो एसे लोग हमारे नहि हो सकते) हमारी और गुजरात की तरक्की को रोकने में लगे हुए है, एसे लोगो को गुजरात छोडकर चले जाना चाहिये, क्यु की उनको मालूम नहि कि हम तो भाइ गुजरात में मोदीजी को ही चूनेंगे, और उन लोगो के निकाल बहार फेकेंगे जो गुजरात के विकास और गुजरातीओ के विकास में बाधा डाल रहे हो, एसे फालतु लोगो को किसी और पडोशी देश में जाके खुद को और अपने परिवार को सेटल कर देना चाहिये, नहि तो वैसे भी वह लोग कभी न कभी तो यहां से निकाल बहार फेंके जायेंगे, ये तो नक्की ही है.
- Shailesh
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