Tuesday, February 9, 2010

मुस्लिम समुदाय जागे तो सत्ता के दलाल भागे..


दोस्तो, छह्म धर्मनिरपेक्षता की मौसम फिर से जवां हो गई है. पश्चिम बंगाल की दंभी धर्मनिरपेक्ष साम्यवादी सरकारने सरकारी तंत्र में पिछडे मुस्लिमो के लिये 10 प्रतिशत बैठक अनामत रखवने का फेंसला लिया है. देखने की बात ये है कि जिस दिन बुद्धदेब भट्टाचार्य की सरकारने देश की एकता और अखंडता पर प्रहार करनेवाला ये फेंसला लिया, उसी दिन आंध्र प्रदेश की उच्च न्यायालयने वहां की राज्य सरकार के ऐसे ही एक फेंसले को कूडेदान में डाल दिया.

दरस्सल आंध्र प्रदेश के भूतपूर्व मुख्यमंत्री स्व. वाय एस रेड्डी के कार्यकाल में 2007 में राज्य में सरकारी तंत्र और शैक्षणिक संस्थानो में मुस्लिम समुदाय को चार प्रतिशत आरक्षण देने का फेंसला किया था. दूसरी ओर अपने आप को सबसे बडे धर्मनिरपेक्ष राजकीय पक्ष के रुप में प्रस्थापित करने की एक भी तक न छोडने की आदि कोंग्रेस के महासचिव दिग्गी राज उर्फ दिग्विजय सिंह ने आजमगढ का दौरा किया है और बाटलाहाउस एनकाउन्टर में गडबडी की आशंका व्यक्त करके मुस्लिमो को लुभाने का प्रयास किया है. वैसे कोंग्रेस के युवराज राहुल गांधी आज आजमगढ के दौरे पर है.....सबसे ज्यादा विकृत धर्मनिरपेक्षता का प्रदर्शन महाराष्ट्र सरकार 'माय नेम इज खान' फिल्म के प्रदर्शन के लिये मुंबई के कई सिनेमा होल के बहार हजारो सुरक्षा कर्मचारी तैनात कर रही है... सोचिये, जब राज ठाकरे ने महानायक अमिताभ बच्चन को निशान बनाया था तब यहीं चव्वाण सरकार ने चूपकीदी साध लीधी थी..मुझे लगता है मुस्लिम समुदाय को अब आगे आकर मतबेंक के इन दलालो को रास्ता दिखा देना चाहिये....

मुस्लिम समुदाय से खेलने की शरुआत अंग्रेजो ने की थी. उसके बाद मोहम्मद अली जिन्ना ने अपनी राजकीय महत्वाकांक्षा पूर्ण करने के लिये मुस्लिम समुदाय को अपना शस्त्र बनाया और हिंदुस्तान को बांट दिया. और अब आजाद भारत में अब 'काले अंग्रेज' बन बैठे राजकीय पक्ष दिल्ली पर कब्जा करने के लिये मुस्लिम समुदाय का खिलौने की तरह इस्तमाल कर रही है. मुस्लिम समुदाय क्यो इन सत्ता के दलालो को कहेता नहीं कि हमें मुख्य धारा से क्यो दूर रखना चाहते हो? बार बार उन्हें हिंदुस्ताननी जनता होने की बजाय अल्पसंख्यक होने का अहेसास क्यों करा रहो हो?

इन्डोनेशिया के बाद दुनिया में सबसे ज्यादा मुस्लिम हिंदुस्तान में बसते है. हिंदुस्तान में हिंदु और मुसलमानो को एकसाथ ही रहना होगा ये एक वास्तविकता है. अगर हम जुदा होना चाहेंगे तो भी जुदा नहीं हो सकते. तो फिर साथ साथ रहना क्यो शीखते नहीं? क्या हम फिर से हिंदुस्तान के टुकडे कर देना चाहते है? क्या हम आपस-आपस में लडके कट जाना चाहते है? क्या सत्ता के इन दलालो के लिये हम अपने हीं भाईओ की जिंदगी दोजख बना देंगे? मुस्लिम समुदाय जागे तो सत्ता के दलाल भागे...

No comments: