Friday, February 5, 2010

राहुल बाबा, हमे नेता चाहिये, अभिनेता नहीं....


'राहुल गांधी ने शिवसेना का भ्रम तोडा दिया', 'मुंबई में बैखोफ घूमे राहुल', 'मुंबईकर बनकर घूमे राहुल गांधी', 'शिव सेना के गढ में घूमे राहुल'..राहुल गांधी..राहुल गांधी..राहुल गांधी...सभी खबरिया चैनलो पर, खबरिया वेबसाईट पर और अखबारो में सिर्फ राहुल राहुल राहुल....सचमुच आप युवराज हैं. आप के पांव मुंबई की जमीं पर पडे तो आपकी सुरक्षा के लिये कई विस्तारो में कर्फ्यु जैसा माहोल पैदा हो गया. जनता को भगवान के हवाले छोडकर सेंकडो पुलिस कर्मचारीओ को आपकी सुरक्षा के लिये तैनात कर दिया गया. जहांपनाह जहां से गुजरे वहा दुकाने बंध करा दी गई. आप के इंतजार में अशोक शंकरराव चव्वाण ने दो-दो घंटे तक इंतजार किया और एक लोकतांत्रिक देश के मुख्यमंत्री पद की जो गरिमा होती उसे ताक पर रख दिया. एक मंत्री महोदय ने तो आप के चप्पल भी उठा लिये. मुझे बहुत आश्चर्य है कि सिर पर चप्पल रख के उन्हों ने मुझरा क्यों नहीं किया. आखिर आप युवराज है और भविष्य में 'हिंदुस्तान के पादशाह' बनने की दिशा में आगे बढ रहे हैं.

आप सोचते होंगे कि मैं राहुल गांधी की प्रशंसा कर रहा हूं या उनकी खिंचाई कर रहा हूं. नहीं, न तो मैं राहुल गांधी का प्रशंसक हुं और न मेरी उनके साथे कोई दुश्मनी. मैं शिवसैनिक भी नहीं हुं और भाजपा का कार्यकर्ता भी नहीं हुं. में तो 'सरदार और गांधी के गुजरात' का एक सामान्य इन्सान हुं, जो अपने लोकतांत्रिक देश और उसकी भोलीभाली, मजबूर अने मजदूर जनता की बदकिस्मती देख के सन्न रह गया हुं. मैं जानता हुं कि आज 'कोमनमेन' की नजरों में आप नायक बन गये है. आप ने शिवसेना और महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना की दादागिरी से त्रस्त उत्तर भारतीय दोस्तो के दिलो को भी जीत लिया है. लेकिन एक सोची-समझी स्क्रिप्ट के तहत आपने उनकी आंखो में जमकर धूल झोंकी है. धीरे धीरे आप नेता के साथसाथे अभिनेता भी बन रह है. आप के अभिनय में निखार भी आ रहा है. आखिर आप के दोस्तो में शाह रुक रुक खान नाम का पाकिस्तानपरस्त स्टार जो है, लेकिन भला हो उस युवा छात्र का जिसने आप को आयना दिखा दिया.

दोस्तो, विले पार्ले के भाईकाका होल में युवा छात्रो सें विचार-विर्मश कर रहे कोंग्रेस के युवराज राहुल गांधी को एक छात्र ने बहुत विनम्रता से उनकी राजकीय हैसियत का परिचय करा दिया. लोगो के दिलो पर आज भी राज कर रहैं भूतपूर्व राष्ट्रपति कलामसाहब की तर्ज पर युवा छात्रा से विचार-विर्मश कर रहे राहुल भैयाने पूछा कि, 'क्या आप जानते है कि राजनीति में किस तरह प्रवेश मिलता है?' तब एक छात्र ने तपाक से जबाव दिया, 'हा, अगर आप के घर का कोई सदस्य राजनीति में हो तो आप राजनीति में आसानी से घूस मार शकते हो.' इस युवा छात्र को आप नादान और नासमझ कह कर आप अपनी नपुंसकता पर परदा जरुर डाल शकते है. लेकिन सच ये है कि उसने राहुल गांधी को वीवीआईपी दरज्जा क्यों मिल रहा है उसका सही-सही बयान किया है. इस युवा छात्र ने तो सच्ची बात बताने का साहस किया, लेकिन राहुल गांधी ने देश के भविष्य कहे जाने वाले इन युवा छात्रो को सामने अच्छी-अच्छी बाते करने के सिवा कुछ नहीं किया.

राहुल गांधी ने इन छात्रो को कहां कि, 'इस देश में दो प्रकार के नेता है. एक वो है जो लोगो के बांटते है और राज करते है और दुसरे वो नेता है जो लोगो को जोडते है. कोंग्रेस अखंड भारत का समर्थन करती है.' इस देश की सामान्य जनता को अखंड भारत का ही समर्थन करती है. लेकिन जरा सोचिये तो सही स्वतंत्र्ता मिलने के बाद देश पर सबसे ज्यादा शासन किस पक्ष की सरकारने किया है? देश में अनामत के नाम पर दलितो को मुख्य समुदाय से अलग किस ने किया है? भिंडरानवाले को खडा करके शीख समुदाय में विभाजन करने का प्रयास किसने किया था? इन्दिरा गांधी की हत्या के बाद मासूम शीख भाई-बहेनो को किसने जिंदा जलाया था? राहुल गांधी 2004 में सांसद बने है. उसके बाद दिल्ही की गद्दी पर कोंग्रेस की ही सरकार है. तब से लेकर आज तक मुस्लिमो के वोट जितने के लिये कोंग्रेस के नेतृत्व में युपीए की सरकारने कितने पंच बनाये है? मुस्लिम समुदाय को मुख्य प्रवाह में लाने की बजाय उनको हंमेशा लघुमती समुदाय बनाये रखने का प्रयास कौन कर रहा है? मुंबई को आतंकवादी हमले से बचानेवाले बिहारी थे ऐसा बिहार में जाकर खुद राहुल गांधी ने कहा था. क्या वो सुरक्षा दलो में प्रांतवाद का झहर नहीं घोल रहे है? इस देश की जनता तो अखंड भारत का समर्थन करती है, लेकिन जम्मु-काश्मीर में धारा 370 को हटाने के लिये राहुल गांधी और उनकी सरकारने क्या किया? राष्ष्ट्रप्रेम की भावना जगानेवाले संवाद बोलना आसान है, लेकिन राष्ट्रप्रेम निभाना बहुत मुश्किल है. और राहुल गांधी ने राष्ट्रीयता की बाते करने के सिवा अभी तक कुछ नहीं किया है. वो करेंगे तो हमें बहुत खुशी होंगी, लेकिन अभी तक ड्रामेबाजी के सिवा कुछ देखने को नहीं मिला. वो चाहते को बहुत कुछ कर सकते थे.

वो पत्रकारो और फोटोग्राफरो को लेकर दलित गरीबो के घर भोजन लेने पहोंच जाते है, लेकिन उसके घर का चूला कैसे जलता है उसे पूछने का साहस है उन में? पिछले छ सालो में महेंगाई को नियंत्रण में लाने के लिये क्या कर दिखाया? और जब वो संसद में उत्तरप्रदेश के गन्ने के किसान के बारे में बोलते है तो देश के जनता का प्रतिनिधित्व करनेवाले कोंग्रेसी सांसद और मीडिया पूरा देश सर पर ले लेता है. 'राहुल बाबा ने गन्ने किसानो का दर्द संसद में बांटा.' सबसे बडा मजाक तो 'कोंग्रेस के अमरसिंह' के रूप में प्रसिद्ध राजीव शुक्ला ने किया है. राहुल गांधी की मुंबई सैर को 'अदम्य साहस' करार दिया है. अब जरा राहुल गांधी के अदम्य साहस से भी परिचित हो ले.

राहुल भैया मुंबई पहोंचे उससे पहेले कई शिवसैनिको को हिरासत में लिया गया. पादशाह राहुल जहां से भी गुजरनेवाले थे वहा कर्फयू लगा दिया गया. वो लोकल रेलवे में सैर करेंगे उसकी भनक मुख्यमंत्री अशोक चव्वाण को भी नहीं थी तो शिवसैनिको को तो कैसे हो. इसलिये बेचारे विरोध करने के लिये राहुल बाबा को ढुंढते रहे गये. रेलवे में भी उनके साथे बोडीगार्ड्स और पत्रकारो का काफिला था. दरस्सल बिहार में उनके दौरें में ललित नारायण विश्वविद्यालय में गुजरात के बारे में एक टिप्पणी पर युवा छात्रो ने राहुल गांधी को आडे हाथो लिया और राहुल भैया को वहां से खिसकना पडा था. उस पर से कोंग्रेस ने शीख लेकर युवराज को कोई विरोध प्रदर्शन का सामना हीं न करना पडे ऐसा बंदोबस्त कर दिया. लेकिन मजा तो इस बात का आया कि राहुल गांधी कैसा साहस कर सकते है उसका परिचय आज पूरे देश को मिल गया.

दोस्तो, मुंबई को लेकर हुए इस पूरे ड्रामे से किसको फायदा होगा इस से अपन को कोई लेनादेना नहीं है, लेकिन सबसे ज्यादा नुकसान लोकतांत्रिक प्रक्रिया को हुआ है, इस देश को हुआ है. हम धीरे धीरे लोकशाही से ड्रामाशाही की और बढ रहे है. डर लगता है कि कहीं अभिनयसम्राट अमिताभ बच्चन को महानायक बनानेवाला एक स्क्रीप्ट राइटर तो कोग्रेस की स्क्रीप्ट नहीं लिख रहा. याद करो गुजरात के विधानसभा चुनाव. जिस में एक फिल्मी स्क्रीप्ट राइटर ने मेडम सोनिया के भाषण लिखे थे और उसका खामियाजा किसको भुगतना पड रहा है. देश की राजनीति कोई हिंदी फिल्म नहीं है. देश की जनता मनोरंजन पाने के लिये मतदान नहीं करती. हमे नेता चाहिये, अभिनेता नहीं....

10 comments:

prashant said...

मै आप से पूरी तरह सहमत हू
राहुल गाँधी ने उस समय यह कहने का साहस क्यों
नही किया कि मुम्बई सबकी जब निर्दोष बिहारी
व हम यू पी वाले मारे जा रहे थे
(उस समय महाराष्ट्र में चुनाव नहीं हुआ था नुक्सान हो सकता था)
इस समय वो कह रहे क्यों कि बिहार में चुनाव होने वाले हैं

અલકેશ - अलकेश - Alkesh said...

very very nice piece.

ranmal said...

nice piece, keyur

pravin said...

You are right and I am agree with you.

Capt. Narendra said...

बहुत बढिया, भैया! राहुलबाबाकी सफलता एवं "हिंमत'का असली रूप दिखा कर आपने "आजतक"की भी आँखें खोल दी है! हम तो क्या, आपकी बात पढने वाले सब ही आपके फैन बन गये हैं. बहुत अच्छे! ऐसे ही लिखते रहियेगा.

Vikram said...

People know politics and politician the way media portraits.... and hence the role of media or I would say the people who handle media is so very important. I remember seeing one old movie of Dilip Kumar and Anil Kapoor (Mashaal)... your post reminds me of that movie by portraying who is who in real sense... Good work Keyur.. keep it up.

Shailesh said...

This is absolutely "SHOW BAAZI". What Rahul want to proove himself, he think that he will be the hero after doing all this type of "NAUTANKI". Rahulbaba ye sab bahot purana khel hai, kuchh naya karo bhaiya.
Rahul ko aisa lagta hoga ki ye sab karke logo ka dil jit lunga,
BHAI PEHLE AAPNI MUMMY KO BOLO KI WOH SHARAD PAWAR HAI NA USKO NIKAL BAHAR FEKO OTHERWISE JANTA TUM SUBKO VOTING MAIN DHO DALEGI.
- Shailesh

Tejas Trivedi said...

I am really surprise that the people of India after 60 yrs. of independence cannot understand or don’t want to understand the fact that how severe damage had been done by Gandhi family from Nehru to Rahul Gandhi, i can give you some example for the same, after getting independence A.I.C.C done voting for to chose first prime minister of India and the result of that voting C.W.C vote 13 in favor of Sardar Patel and only one vote was in favor of Nehru, now we need to think about that very seriously that why can’t we think beyond Gandhi/Nehru family now congress is planning to impose Rahul Gandhi as a Prime Minister of India, as per my opinion that Rahul is not a inherent leader. Today India is facing the issue of Kashmir that still burning due to Nehru, and his desire to get famous by raising issue of Kashmir on international forum, I think sardar patel was right to declare war against Pakistan to get P.O.K back in India. HOW MANY TIME WE ARE READY TO IGNORE THE MISTAKE IS BEEN DONE BY THIS GANDHI/NEHRU FAMILY. IT IS SHAME FOR ALL INDIAN, HOWEVER THEY HAD BEEN ELECTED FOR LAST MORE THAN 50YRS, JAGO INDIA JAGO.
- Tejas Trivedi

Pranay said...

Don't blame Rahul. We Indians are born to be f.....d. As an avid reader of history I don't see any need you to recall the ancient history of India. Rahul has learned from our politicians how to fool aam(chusa hua) janta. He is doing exactly the same. People in media with short sight, greed or wasted interest are making him a hero. One of national publication who is branding itself that it is doing journalism of courage has published a full page piece worshipping the false god.

Unknown said...

Hi Keyur,
It's really a nice piece. But, I think, we need to give Rahul a chance. Agreed, that what he did in Mumbai looked very much like a drama and political one upmanship. But, name one politician who doesn't do that. Politics is all about eyeballs and scoring brownie points. But, Rahul brings a breath of fresh air in a space congested with hardcore sycophants. Let's hope that he turns out to be a leader India badly needs.
Chaitanya