Tuesday, May 12, 2009

हम तेरा इन्तिजार करते हैं..


चांद मद्धम है आस्मां चुप है
नींद की गोद में जहां चुप है

दुर वादी में दुधिया बादल
झुक के परबत को प्यार करते है
दिल में नाकाम हसरतें लेकर
हम तेरा इन्तिजार करते हैं

इन बहारों के साए में आ जा
फिर मोहब्बत जवां रहे न रहे
जिन्दगी तेरे नामुरादों पर
कल तलक मेहरबां रहे न रहे

रोज की तरह आज भी तारे
सुबह की गर्द में न खो जाएं
आ तेरे गम में जागती आंखें
कम-से-कम एक रात सो जाएं

चांद मद्धम है आस्मां चुप है
नींद की गोद में जहां चुप है

साहिर लुधियानवी

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