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Saturday, October 1, 2011
अपनी क्षमता भर प्रयास करूंगा, प्रभुवर!
मेरा कार्य संभालेगा अब कौन,
लगे पूछने सांध्यरवि.
सुनकर सब जग रहा निरुत्तर मौन,
ज्यों कोई निश्चल छवि.
माटी का था दीप एक,
बोला यों झुककर -
'अपनी क्षमता भर प्रयास करूंगा, प्रभुवर!'
- रवींद्रनाथ ठाकुर
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