Thursday, February 11, 2010

'माय नेम इज खान' के प्रचारप्रपंच का अंतिम अभियान.....


देखिये, खबरिया चैनलो पर क्या आ रहा है? 'कोंग्रेस के कार्यकर्ता देखेंगे माय नेम इज खान.' और जरा देखिये ये कार्यकर्ता कौन है? कोंग्रेस के मु्स्लिम कार्यकर्ता. वैसे ये प्रपंच भी अपेक्षित था. इस में मुझे तो कोई आश्चर्य नहीं है. ये तो होना ही था. मुस्लिमो को लुभाने के आशय से बनाई गई ये फिल्म कोंग्रेसी कार्यकर्ता अने मुस्लिम बिरादर नहीं देखेंगे तो और कौन देखेगा! हा दोस्तो, 'माय नेम इज खान' फिल्म के निर्माण का आशय सिर्फ और सिर्फ एक ही आशय के साथ हुआ है. कोंग्रेस मुस्लिम मतबैंक को फिर से जीतना चाहती है और शाहरुख और उसकी फिल्म उसका सबसे बडा मोहरा है. क्या आपको याद है इस फिल्म को मुस्लिमो को आकर्षित करने का पहेला प्रपंच कब शरु हुआ था...वो दिन था 15 अगस्त, 2009...

उस दिन शाहरुख ने 'कोंग्रेस का मुस्लिम चहेरा बनने का एक ओर अध्याय' शरु किया था. छह्म धर्मनिरपेक्ष खबरिया चैनल पर एक ब्रेकिंग न्यूज आये थे- 'शाहरुख की अमेरिका एरपोर्ट पर अटकायत', 'खान सरनेम होने की वजह से शाहरुख की तलाशी.' दोस्तो, दरस्सल वो रुटिन चैकिंग था, लेकिन बेचारे अमेरिकन पोलीस अधिकारी शाहरुख के प्रपंच को जानते नहीं थे. 'माय नेम इज खान' के प्रचार प्रपंच की नींव अमेरिका के एरपोर्ट से शरु हुई थी. तब इस फिल्म की पब्लिसिटी का ठेका लेनेवाले मीडिया फिल्म के प्रचार की नींव भारत में डालने के लिये क्या कह रह था? क्या शाहरुख आतंकवादी है? क्या हर मुसलमान आतंकवादी है?

दरस्सल अमेरिका के एरपोर्ट पर किसी अधिकारी ने शाहरुख को आतंकवादी नहीं कहा था, लेकिन एक सोचे-समझे प्रपंच के तहत शाहरुख ने इसे भारत में बडा मुद्दा बनाया था और मुस्लिमो की भावना के साथ खिलवाड शुरु किया था. तब कोंग्रेसीजनो ने अमेरिका को शाहरुख की माफी मागने तक कह दिया था, लेकिन अमेरिकावाले थोडे पागल है. उन्हों ने माफी मागने से इन्कार कर दिया था और साफ शब्दो में कह दिया गया था कि रुटिन चैकिंग होता रहेगा. ये बात अखबारो ने और खबरिया चैनलो ने बहुत दबी जुबान में कही थी. उसके बात इस फिल्म के प्रचारप्रपंच का अंतिम अभियान इन्डियन प्रीमियर लीग की हराजी प्रक्रिया के साथ शरू हुआ.

इस हराजी प्रक्रिया में शाहरुख ने अपनी टीम में पाकिस्तानी क्रिकेटरो को तो लिया नहीं, लेकिन जान बुझकर उनको लेना चाहिये थे ये कहकर विवाद खडा किया. उन्हें पता था शिवसेना अपने अस्तित्व के लिये कोई ना कोई मुद्दा तलाशने के लिये बावरी हो गई है और अपेक्षानुसार, सेना ने इस बयान का विरोध किया और 'कोंग्रेसीजनो के युवराज' राहुल गांधी को भी लपेट में ले लिया. पूरा प्रपंच कामयाब रहा....पहेले राहुल गांधी ने लोखंडी सुरक्षा व्यवस्था में मुंबई का दौरा किया और फिर शाहरुख ने सेना की माफी मागने का इनकार किया. खबरिया चैनल एक बार फिर अपने एडवर्टाइजर के लिये मेदान में आ गई. सिर्फ एकपक्षीय रिपोर्टिंग. एक ही बात, शाहरुख खान का बचाव और पाकिस्तानी क्रिकेटरो को आईपीएल में लेना चाहिये था.

जरा सोचिये तो सही..कोंग्रेस और शाहरुख अपने फायदे के लिये इस देश की जनता की भावना के साथे कैसा खिलवाड कर रहे है...दरस्सल मुस्लिम बिरादरो को आगे आकर कह देना चाहिये...हम हिंदुस्तानी है...हम अल्पसमुदायक नहीं है....कब तक हमें मतबैंक मानोगे...कब तक इस देश को बांटोगे और अपना स्वार्थ साधने कि लिये निर्दोष भाई-बहेनो के खून से होलिया खेलतें रहोगे....समय आ गया है दोस्तो जागो....
चलते-चलतेः प्रचार करना बुरी बात नहीं है, लेकिन अपने फायदे लिये जनता की आंखो में धूल झोंकना देशद्रोह है.....

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